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प्रेम ध्वनी प्रार्थना
कीर्तनाच्या समाप्तीनंतर एक वरीष्ठ भक्त ही प्रार्थना म्हणतात आणि उपस्थित सर्व भक्त दंडवत करीत प्रत्येक ओळीनंतर 'जय' असे म्हणतात.
  1. जय ॐ विष्णुपाद परमहंस परिव्राजकाचार्य अष्टोत्तरशत श्री श्रीमद् कृष्णकृपाश्रीमूर्ती अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी महाराज श्रील प्रभुपाद की जय !
    (आचार्य ॐ विष्णुपाद अष्टोत्तरशत श्री त्रिदंडी गोस्वामी अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादांचा जय असो, ज्यांनी भगवान श्रीकृष्णांच्या महिमेचा प्रचार करीत संपूर्ण पृथ्वीभ्रमण केले, जे संन्यासाच्या परम स्तरावर स्थित आहेत.)
    (इस्कॉन, बी.बी.टी. संस्थापकाचार्य ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी महाराज श्रील प्रभुपाद की – जय!)
  2. जय ॐ विष्णुपाद परमहंस परिव्राजकाचार्य अष्टोत्तरशत श्री श्रीमद् कृष्णकृपाश्रीमूर्ती भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकूर श्रील प्रभुपाद की - जय!
  3. अनंत कोटी वैष्णववृंद की जय !
  4. नामाचार्य श्रील हरिदास ठाकूर की - जय!
  5. प्रेम से कहो श्रीकृष्णचैतन्य, प्रभु नित्यानंद, श्रीअद्वैत, गदाधर, श्रीवासादि गौर भक्त वृंद की – जय!
  6. श्री श्री राधा कृष्ण, गोप-गोपिका, श्यामकुंड, राधाकुंड, गिरि-गोवर्धन की – जय!
  7. वृंदावन धाम की – जय!
  8. नवद्वीप धाम की जय!
  9. गंगादेवी, यमुनादेवी की - जय!
  10. तुलसीदेवी, भक्तिदेवी की - जय!
  11. हरिनाम संकीर्तन की - जय!
  12. गौर प्रेमानंदे - हरि हरि बोल!
  13. समवेत भक्त वृंद की - जय! (३ वेळा)
  14. श्री श्री गुरु गौरांग की - जय!


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