श्री गौर आरती
(किब) जय जय गोराचाँदेर आरतिक शोभा |
          जाह्नवी तट वने जगमन लोभा ||
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दक्षिणे निताईचाँद बामे गदाधर |
          निकटे अद्वैत श्रीवास छत्रधर ||
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बसियाछे गौराचाँदेर रत्न-सिंहासने |
          आरति करेन ब्रह्मा-आदि देवगणे ||
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नरहरि आदि कोरि चामर ढुलाय |
          सञ्जय मुकुंद वासुघोष आदि गाय ||
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शंख बाजे घण्टा बाजे, बाजे करताल |
          मधुर मृदंग बाजे परम रसाल ||
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शंख बाजे घंटा बाजे, मधुर मधुर मधुर बाजे |
          निताई गौर हरिबोल हरिबोल हरिबोल हरिबोल ||
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बहु कोटि चन्द्र जिनि वदन उज्जवल |
          गलदेशे वनमाला करे झलमल ||
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शिव-शुक नारद प्रेमे गद्‌गद् |
          भकति-विनोद देखे गौरार सम्पद ||
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